तृतीयक शिक्षा: भविष्य निर्माण की रीढ़

शिक्षा की शक्ति शिक्षा केवल ज्ञान नहीं, बल्कि संभावनाओं का द्वार है। यह वह चाबी है जो भविष्य के दरवाजे खोलती है।

प्रेरक उदाहरण रामकृष्ण सिन्हा: सीमित संसाधनों में भी शिक्षा को समाज निर्माण का आधार मानते हुए, उन्होंने 'दिशा न्यूक्लियस' की स्थापना की, जिससे सैकड़ों छात्र लाभान्वित हो रहे हैं।

डॉ. चंद्रशेखर श्रीमाली: करियर गुरु की प्रेरक यात्रा बीकानेर के डॉ. चंद्रशेखर श्रीमाली, एक चपरासी के बेटे, ने आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद शिक्षा को प्राथमिकता दी और शिक्षक बने। उन्होंने वाइस चांसलर की प्रतिष्ठित नौकरी छोड़कर करियर काउंसलिंग के क्षेत्र में कदम रखा। अब तक वे 200 से अधिक सेमिनार्स कर चुके हैं और हजारों युवाओं का मार्गदर्शन कर चुके हैं

मंजुला नायर: युवाओं को उद्यमिता की ओर प्रेरित करना मंजुला सुभाष नायर ने अपने जीवन में अनेक संघर्षों का सामना किया और अब वे युवाओं को नौकरी खोजने वाला नहीं बल्कि नौकरी देने वाला बनने के लिए प्रेरित कर रही हैं। वे पुणे की दो यूनिवर्सिटी में 'प्रिंसिपल्स ऑफ आंत्रप्रेन्योरशिप' कोर्स के माध्यम से स्टूडेंट्स को इनोवेशन, सही बिजनेस मॉडल और टीमवर्क सिखा रही हैं।

तकनीकी नवाचार एआई मैम: झाँसी के एक स्कूल में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित वर्चुअल शिक्षिका 'एआई मैम' ने शिक्षा के तरीके को पूरी तरह से बदल दिया है, जिससे बच्चों में सीखने की रुचि बढ़ी है।

सरकारी पहल मुफ्त कोचिंग योजना: राजस्थान सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के 1,000 मेधावी छात्रों को JEE और NEET की मुफ्त कोचिंग देने की योजना शुरू की है, जिससे शिक्षा में समानता और गुणवत्ता को बढ़ावा मिलेगा।

शिक्षा का उद्देश्य शिक्षा का उद्देश्य केवल नौकरी प्राप्त करना नहीं, बल्कि चरित्र निर्माण और समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाना है।

निष्कर्ष तृतीयक शिक्षा हमारे भविष्य की रीढ़ है। यह हमें न केवल ज्ञान देती है, बल्कि सोचने, समझने और समाज में योगदान देने की क्षमता भी प्रदान करती है।