संस्कार की आवश्यकता :
जैसे शरीर में हार्ट का महत्व है मतलब बिना हार्ट के शरीर बेकार है वैसे ही समाज में संस्कार का महत्व है। आप खुद सोचिए की यदि किसी के पास संस्कार ही नही रहेगा तो वो समाज को कुछ समझ पाएगा ! उसको कैसे पता चलेगा कि समाज में कैसे रहा जाता है।
जिसको संस्कार नहीं पता वो समाज के लायक नही है और रही संस्कार की बात तो हर किसी को उसके घरवाले उसको संस्कार इसीलिए सिखाते है की उनका समाज में इज्जत बनी रहे। कोई ये ना कहे की आपने अपने बच्चों को बिल्कुल भी संस्कार नहीं दिए है की समाज में कैसे रहा जाता है कैसे किसी से बाते की जाती है कौन छोटा है कौन बड़ा है बहुत सारी चीजे है जो हर किसी को उनके घर वाले ही सिखाते है।
संस्कार की सिख :
संस्कार एसी चीज है जिसकी कोई किताब नहीं है और ना ही कोई टीचर है पर हा इसकी अगर कोई किताब है तो वो है आपका परिवार और टीचर आपके मामी – पापा बड़े बुजुर्ग और आपके परिवार के लोग हैं।
तो जैस ही आप समझने लायक हो जाते है तो आपके घर वाले आपको धीरे – धीरे एक – एक कर के संस्कार की हर बाते समझने लगते है और कुछ तो अपने घर वालो को भी आप देख कर समझने लगते है की कैसे किसी से बाते करनी है चाहे छोटा हो या बड़ा हो, किस प्रकार किसी का सम्मान करना है कैसे किसी का आदर करना है और साथ ही साथ अपना व्यवहार हर किसी के साथ कैसे सरल रखना है।
संस्कार का अमूल्य भाव :
जिसके अंदर अच्छे संस्कार होंगे उसको कभी भी घमंड नहीं हो सकता है क्योंकि संस्कार हमेशा हर किसी को यही सिखाता है की कैसे किसी के भी प्रति निर्मलता का भाव रखें। आप या चाहे कोई भी हर कोई अपने माता – पिता, दादा – दादी, चाचा – चाची, भाई, बहन, बड़े बुजुर्ग और समाज के लोगो से ही संस्कार सीखा होगा।
प्रभावी तरीके और टिप्स :
पर अब बात करेगें की आप अपने बच्चों को कैसे अच्छे संस्कार दें और उनको क्या अच्छे सुझाव दे ताकि उनको – उनके आजीवन जीवन तक के लिए समाज सदा उन पर गौरवान्वित रहे।
1. समाज के तौर तरीके / किसी से भी बात करने का तरीका :- समाज जिसमे हम आप सभी जीते है जिसकी फिक्र हम सबको हमेशा रहती है की कही कोई एसी गलती ना हो जाए की समाज हमको कुछ भी बुरा बोले और ये सही भी है क्योंकि जब सब एसे सोचते है तभी समाज चल भी पता है
जब कोई ये सोचेगा की मुझे जो करना है वो करूंगा भले ही वो बहुत ही बुरा कर रहा हो पर उसको इससे मतलब ना हो की कोई क्या कहेगा तो एसे ही लोग समाज को गंदा बनाते है और समाज को तोड़ते भी है एसे लोगो से खुद भी दूर रहे और अपने बच्चों को भी रखे और अपने बच्चों से एसे लोगो से दूर रहने के लिए भी बोलिए। अपने बच्चों को बताइए की कोई चाहे छोटा हो या बड़ा हो सबका सम्मान और इज्जत उनको करना है किसी से भी बात करते समय ये ध्यान रखना है की हमारी बातो से किसी को कोई ठेस ना पहुंचे।
अपने बच्चो को ये भी बोलिए की जब कोई एसी बात हो जो एक जगह से सुन के कही और नही कहने वाली हो तो एसी बात कभी भी किसी से न कहे नही तो जिसके बारे में बात रहेगी और जो बोला होगा उन दोनो लोगो के बीच में झगड़ा या बड़ा विवाद हो सकता है। ये एसी सिख है जो हर किसी को अपने बच्चों को जरूर देना चाहिए।
साथ ही साथ आप जितना भी अपनी पूरी लाइफ में जीवन से सम्बंधित, समाज से सम्बंधित, समाज के तौर तरीके से सम्बंधित अनुभव, ज्ञान अर्जित किए है । कोशिश करिए की पूरा का पूरा अपने बच्चों को सीखा दे । पर एक बात यहां ध्यान रखिए की जो आप अच्छी सिख, सीखी है वही उनको भी सीखना है। ये नही की जो आपकी गंदी आदतें हो उनको आप अपने बच्चों को सीखने लगे। एक बात अच्छे से ध्यान रखिए की अपनी गंदी आदतों से हमेशा अपने बच्चो को दूर रखिए नही तो वो यदि देख लेंगे तो वो भी सिख सकते है।
अपने माता – पिता की सदा सम्मान करे उनकी सेवा करे तभी ही आपके बच्चे आपको देख कर सीखेंगे की कैसे मां -बाप की कद्र करनी चाहिए । जिससे संस्कार में और मजबूती आएगी और साथ ही साथ समाज में भी।
2. गुरु का आदर और सम्मान करना :- आज के समय में ये बहुत ही जरूरी है की हर किसी को अपने गुरु जी लोगों का सम्मान करना चाहिए क्योंकि आज के समय में बहुत ही ज्यादा सुनने को मिलता है की बच्चे अपने गुरु जी लोग का ही सम्मान नही करते है उनसे बत्तमीजी से बाते करते है उनको बहुत ही परेशान करते है जो एक छात्र के लिए बहुत ही निंदनीय है ।
तो अपने बच्चों को इस प्रकार आप अपने घर पर ही शिक्षा दे की वो अपने छोटे – बड़ो के साथ ही साथ अपने गुरुजनों का भी सम्मान और इज्जत करें। और जो भी अपने गुरु का सम्मान नही करता उसका भगवान भी सम्मान नही करते। तो आप अपने बच्चों को यही शिक्षा दे की वो सदा ही अपने गुरुजनों का आदर सम्मान और उनकी इज्जत करें।
3. लड़कियों और महिलाओं का सम्मान करना :- एक मां या पिता होने के नाते आप अपने बच्चों को सदा ही किसी भी लड़की या महिला का सम्मान करना ही अपने बच्चों को सिखाए । उनसे ये बताईए कि नारी समाज और दुनिया की मूल आधार है इनके बिना ये दुनिया संभव नहीं है ये एक रूप में मां तो एक रूप में बहन तो एक रूप में पत्नी मतलब इनका अनेक रूप हैं पर हर रूप में इस दुनिया में सर्वश्रेष्ठ हैं ये सदा ही पूजनीय है इनका अपमान मतलब अपने माता – पिता का अपमान। इस प्रकार अपने बच्चों को नारी के प्रति सदा ही उच्चतम से उच्चतम शिक्षा देने की पूरी से पूरी कोशिश करें और दें भी।
4. छोटे बड़ो का सम्मान करना :- अपने बच्चों को हर किसी छोटे या बड़े का सम्मान करना जरूर सिखाए क्योंकि यदि आप ऐसा नही करेंगे तो वो आप का ही सम्मान नही करेंगे। इसी के साथ – साथ अपने बच्चों को बोलने का भी सबक/ढंग सिखाए की किसी से भी कैसे बाते की जाती है ताकि उनके बातों से किसी को कुछ ठेस ना पहुंचे।
5. सही दोस्त की परख :- हर किसी का उसके जीवन में कोई न कोई दोस्त होता जरूर है आपका भी कोई न कोई दोस्त जरूर होगा तो आपको दोस्त का महत्व भी बहुत अच्छे से पता होगा की यदि जीवन में एक अच्छा दोस्त ना हो तो जीवन कैसे बेकार है क्यों क्योंकि जब एक अच्छा दोस्त नहीं होगा तो बुरा दोस्त तो निश्चित ही होगा लेकिन हर किसी के जीवन में उसका दोस्त जरूर होता है।
तो आप एक गार्जियन होने के नाते अपने बच्चों को अपने लाइफ के सबसे अच्छे दोस्त की तरह ही दोस्त बनाने का सिख दें। और उनको अपने दोस्त के बारे में भी बताए ताकि उनको अपने लिए अच्छा दोस्त पहचानने में कोई दिक्कत ना हो।
6. घर पर आए मेहमान का आदर सत्कार करना :- समाज में हर कोई एक दूसरे से जुड़े हैं एक दूसरे से जुड़े होने के नाते हर कोई हर किसी के दुख – सुख में एक दूसरे के घर आते – जाते रहते है और ये हर किसी के जीवन का महत्वपूर्ण समय होता है तो कोई भी किसी के यहां जाता है तो उसका आदर सत्कार होता है क्योंकि ये प्रथा हमारे पूर्वजों से चली आ रही है
और इसी प्रथा के कारण हर कोई एक दूसरे से मिलते – जुलते चले आ रहे है और ये हमारे समाज में मजबूती भी देता है। तो हर किसी को अपने बच्चों के सामने अपने मेहमानों की खुद आदर सत्कार, सम्मान, इज्जत और सेवा करनी चाहिए जिससे आपके बच्चे भी आप से खुद सीख लें।
7. घर से बाहर कही भी जाकर रहने,पढ़ने एवम नौकरी करने की समझ :- इस दुनिया में शायद ही कोई होगा जिसको घर से निकल कर कही बाहर जाकर पढ़ने या नौकरी करने की जरूरत नहीं पड़ती हो। लगभग हर इंसान के जीवन में ऐसा पल जरूर आता है जब उसको अपने घर से बाहर जाकर कही और रहना या पढ़ना या नौकरी करना पड़ता है
तो जब किसी को अपने घर से दूर रहना पड़ता है तो उसको वहा कैसे रहना है क्या करना है क्या नही करना है ये सब उनके घर वाले ही उनको समझा के भेजते है की जहा आप जा रहे हो वहा आपका घर नही है की आप कैसे भी रहोगे नही, वहा आपको बहुत ही समझदारी से रहना पड़ेगा। वहा यदि कोई गलती किए तो बहुत ही दिक्कत हो सकती है तो इसलिए कही भी बहुत ही सतर्कता से रहना होता है। इस प्रकार अपने बच्चों को अच्छे संस्कार देके ही घर से दूर पढ़ने या नौकरी करने के लिए भेजिए।
8. जानवरों और पक्षियों के प्रति दया का भाव रखना :- इस पृथ्वी पर इंसानों के अलावा और भी जीव रहते है तो जितना हक इंसानों का है इस पृथ्वी पर उतना ही अन्य जीवों का भी है अक्सर क्या होता है की लोग जानवरों को बिना वजह के ही मर देते है उनको परेशान करते है या फिर पक्षियों को पकड़ लेते है और उनको अपने स्वार्थ के लिए बंधक बना के रखते है मतलब बहुत ही अलग – अलग प्रकार से जानवरों और पक्षियों को परेशान करते है। तो ऐसा किसी को भी नहीं करना चाहिए ।
बे – वजह किसी को परेशान करना बहुत ही बड़ा पाप है ये कभी ना करें खास कर जानवरों और पक्षियों के साथ और ना ही अपने बच्चों को करने दे और उनको ऐसी शिक्षा दें की वो जानवरों और पक्षियों के प्रति सदा ही दया और सहानुभूति का भाव रखें।
9. धन – दौलत और अपने आप का घमंड :- अक्सर आप देखते होंगे की बच्चे ये बोलते है की मेरे तो पापा ये हैं मतलब जैसे डॉक्टर, इंजीनियर आदि है मेरे चाचा वो जैसे डीएम, एसडीएम, आदि या फिर कुछ भी पर बच्चे बोलते जरूर है की उनके घर वाले क्या – क्या हैं और उनके घर पर तो बहुत ही संपत्ति है। मतलब उनके अंदर अहंकार आ जाता है या फिर अक्सर घर वालो को देख के ही अहंकार आ जाता है
तो आप अपने बच्चों को ऐसे शिक्षा दीजिए या उनके सामने ऐसे रहिए की उनको आप पर या आपकी संपत्ति या आपके पूर्वजों की संपत्ति पर या फिर उनको खुद पर कभी घमंड ना हो। अपने बच्चों को अच्छे संस्कार दें ताकि वो कभी भी किसी से घमंड में बाते न करे । किसी की भावना को ठेस ना पहुंचाए और वो कभी भी किसी भी चीज का घमंड न करें।
10. पेड़ पौधों का महत्व :- इस पृथ्वी पर पेड़ पौधों का क्या महत्व है कैसे इनके बिना जीवन इस पृथ्वी पर संभव नहीं है। ये आप तो जानते ही है तो पेड़ पौधों को अधिक से अधिक लगाने और इनको कटने से बचाने के लिए अपने बच्चो को अच्छी शिक्षा और संस्कार दोनो दीजिए। इस प्रकार आप अपने बच्चों को अच्छे संस्कार दे के समाज को और मजबूत बनाने में भागीदारी सुनिश्चित कर सकेंगे। जैसे आप अपने पूर्वजों से संस्कार लेके इस समाज को मजबूत बनाए है वैसे ही अपने बच्चों को संस्कार देके आने वाले समाज को मजबूत और संस्कारी बनाने में अपनी अमूल्य योगदान जरूर दीजिए।